Add To collaction

कौन है?-

'छोटी सी बदसूरत डरावने बच्चे को देखकर मैं इतना डर गई थी कि मैंने उसे जमीन पर पटक दिया था।'  बस इसी सीन को देखकर हमेशा मेरी आँख खुल जाती है।"  गंगा का सपना निर्मोही और आरव के दिलोंदिमाग की गहराइयों तक उतर गया। दोनों कुछ पल के लिए पुतले की मानिंद सून हो गए थे। गंगा ने निर्मोही के कंधे पर हाथ रखते हुए उसे चौकाया। आरव और निर्मोही के एक्सप्रेशन पर गौर करने की बजाय वह कह रही थी, "ऐसा कई बार हुआ है निर्मोही। इस भयानक ख्वाब से रूबरू होने के बाद मेरा बदन पूरी तरह पसीने से भीग जाता है। दिल बल्लियाँ उछलने लगता है। मेरा पूरा शरीर काम करना छोड़ देता है। जैसे पूरे बदन में चीटियाँ रेंगने लगती है। मेरी बच्ची, मैंने अपनी परेशानी को कभी तुझसे शेयर नहीं किया, वह इसलिए कि मैं तेरी खूबसूरत जिंदगी पर खौफ की परछाई तक नहीं पड़ने देना चाहती थी।" "आप दोनों माँ बेटियों हमेशा एक दूसरे के बारे में ही सोचती रही है, आरव बोला, तभी तो इस पागल ने कभी अपने सपनों के रहस्य की बात आपसे शेयर नहीं की। 'लेकिन एक बात तो मैं दावे के साथ कहता हूँ ' आप दोनों को एक साथ ऐसे डरावने सपने आते हैं इसके पीछे कोई ना कोई वजह जरूर है।" "तुम बेफिक्र हो जाओ मॉम, मैं और आरव पता लगा कर ही रहेंगे कि तुम्हारे और मेरे सपनों के पीछे कौन सा राज छुपा है?" "यस आंटी,  अब आपको घबराने की जरूरत नहीं है। मैं और निर्मोही मिलकर आपकी दोनों बेटियों को कहीं से भी ढूँढ निकालेंगे।" आरव निर्मोही की मॉम को तसल्ली दे रहा था।  लेकिन मन ही मन वह काफी आतंकित था। क्योंकि अब तक के सफर में जो भी वाकये में पेश आए थे उससे यही जाहिर होता है कि जो कुछ भी हो रहा है वह साधारण नहीं है। कुछ है जो हमसे दो कदम आगे चल रहा है। निर्मोही को लेकर मिलन होटल पर पहुँचते वक्त रास्ते में जो मुसीबतें आई उसके पीछे वही असाधारण शक्ति जिम्मेदार रही होगी। होटल मिलन पर 401 नंबर में घटी घटना को अपनी आँखों से देखने वाले लक्ष्मण को बेमौत मरना पडा। वह भी तब जब हम लक्ष्मण का बयान लेने उसके घर पहुँचे थे।  आँटी जी के बताए अनुसार उनकी दोनों बेटियों की कमर में नाग का निशान था। भिक्षुक की बात के मुताबिक दोनों बेटियों साथ रहने पर उनके परिवार का विनाश कर सकती थी। यह बात जब गंगा ने उस नर्स को बताई थी। नर्स ने दोनो बेटियाँ को अपनाकर मुसीबत को गले लगा लिया था।  'जब दोनो बेटियाँ गंगा के परिवार के साथ थी ही नही तो निर्मोही को डर किस बात का था? उसी को डरावने सपने क्यों आते थे? या फिर ऐसा तो नही था कि शाप का असर अभी भी गंगा से जुड़े हर शख्स पर मंडरा रहा था?' "अब मुझे आज्ञा दीजिए, आरव खडा हो गया।  रात बहुत हो गई है फिलहाल मुझे चलना चाहिए।" आरव ने कहा था।  "खाना तैयार है, खाकर जाओ हमें कोई एतराज नहीं।"  "अरे नही आँटी, फिर कभी आपके हाथ का खाना उधार रहा।" कहकर हसता हुआ आरव दरवाजे की ओर मुडा।  "संभल कर जाना, पता है ना आज का दिन कैसा गुजरा है?" निर्मोही ने आरव को टकोर करते हुये कहा था।  "मैं किसी से नहीं डरता तुम तो जानती हो ना?" "जाईए जनाब आपसे बहस बेकार है।" कहते हुये निर्मोही ओर उसकी मॉम खिलखिलाकर हँस पडे। आरव जब दरवाजा बंद करने लगा तो निर्मोही बोल उठी। "बाइक ड्राइव करो तब बार बार पिछली सीट चैक करते रहना। वरना तुम गलतफहमी में रहोगे कि मैं बैठी हूँ।" आरव मुस्कुराता हुआ वहाँ से निकल गया। बाइक स्टार्ट करके घर की ओर रवाना हो गया।  निर्मोही के घर से उसके घर का फासला आज से पहले उसे कभी ज्यादा नही लगा। बल्कि आज आरव को यह भी अहसास हुआ की पंद्रह मिनट का सूनसान रास्ता ऐसा है जहाँ दोनो साइड पर आम के खेत है, और रास्ता बीच से गुजरता है। गाडियों का आवागमन कम हो गया था। बाजार पूरा बंद हो चुका था। अचानक से मैने देखा की साईड पर सोये कुत्तो ने अपनी नींद खराब करके पहरा लगाना शुरू कर दिया था।  आरव बस अपनी धुन में घर की ओर भागता रहा। कोई भी अनहोनी होने से पहले वह जल्द से जल्द घर पहुँच जाना चाहता था। स्ट्रीट लाइट के कारण खुली सड़कों पर रोशनी बिखरी हुई थी। रात को चाय की कैंटीन और कुछ होटल्स खुलें थे। आरव काफी श्लो गति से बाइक चला रहा था। जैसे ही बाजार का रास्ता खत्म हुआ। कुछ कुत्तों ने जोर-जोर से उसकी बाइक को देखकर भागना शुरू कर दिया। आरव का दिल धक् से रह गया। निर्मोही के कहे अनुसार सचमुच कोई रूह रास्ते में न मिल जाए। इसी सोच में डूबे आरव को अचानक बाइक को ब्रेक मारनी पड़ी। क्योंकि दो कुत्ते भागते-भागते उसकी बाइक के आगे आ गए थे। अचानक ब्रेक लगने से बाइक जरा स्लिप होकर एक कुत्ते के पैर से टकराई। कुत्ते के मुंह से दर्दनाक चीख निकल गई। चीखता हुआ वह दुम दबा के वहाँ से छूमंतर हो गया। हक्का-बक्का सा आरव अंधेरे में गायब हुए कुत्ते को लेकर सहमा हुआ था। इस कुत्तों ने तो नाक मे दम कर रखा है। छलावे की तरह प्रकट होते हैं और ऐसे ही गायब हो जाते हैं। आरव ने जैसे ही बाइक आगे बढ़ाई तो पीछे से किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा दिया। वह चौक गया। "माफ करना बिना लिफ्ट माँगे कि मैं आपकी बाइक पर बैठ गई! क्योंकि इतनी रात गए यहाँ पर कोई रुकता नहीं है। मुझे अपने ठिकाने पर जल्द से जल्द पहुंचना है। गुस्ताखी के लिए माफी चाहती हूँ। मुझे आगे उतर जाना है।" आवाज बड़ी प्यारी थी। पीछे बैठी होने की वजह से आरव उसका चेहरा देख नहीं पाया। किस वक्त उस अनजान लड़की ने बाइक की पिछली सीट पर कब्जा कर लिया आरव को भनक तक नहीं लगी। तभी तो वह बौखलाया हुआ था। आरव के बदन में खौफ की लहर दौड़ गई। निर्मोही की बात याद आ गई। गलतफहमी में मत रहना। अगर पिछली सीट पर कोई बैठा नजर आए तो समझ लेना वह मैं नहीं हूँ। निर्मोही के इस मजाक को आरव ने अनसुना कर दिया था। ऐसा तो कभी हो ही नहीं सकता कि मजाक में कही गई किसी की बात सच साबित हो जाए? जो होगा देखा जायेगा ऐसा सोचकर वह आगे बढता रहा।

   19
2 Comments

madhura

27-Sep-2023 10:14 AM

Amazing

Reply

Gunjan Kamal

27-Sep-2023 08:57 AM

बेहतरीन

Reply